Saturday, 23 September 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 88



* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 152

"भील जाति का सहयोग"

* एक बार महाराणा प्रताप के कुछ पुत्र शत्रुओं के पंजे में पहुंच गए, परन्तु कावा के स्वामिभक्त भीलों ने उनको बचा लिया

भील महाराणा प्रताप के बच्चों को टोकरों में ले गए व उनकी देखभाल की

जावर व चावण्ड के घने जंगल के वृक्षों पर लोहे के बड़े-बड़े कीले अब तक गढ़े हुए मिलते हैं | इन कीलों की बेतों के बड़े-बड़े टोकरे टांग कर उनमें महाराणा के बच्चों को छिपाकर भील महाराणा की सहायता करते थे |

पूंजा भील के नेतृत्व में भीलों ने महाराणा प्रताप का अन्त तक साथ दिया |

"जीत लिया भीलों का मन,
व्यक्तित्व पर ऐसा था राणा |
पूंजा भील था साथ खड़ा,
राणा ने कहा अब तू भी 'राणा' ||"


1586 ई.

* अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल का देहान्त हुआ |
बीरबल 8000 मुगलों समेत अफगानों द्वारा मारा गया |

* इसी वर्ष अकबर ने कश्मीर पर फतह पाई

1587 ई.

* इस वर्ष अकबर के पौत्र व जहांगीर के पुत्र खुसरो का जन्म हुआ

* इसी वर्ष महाराणा प्रताप के रिश्तेदार जसवन्त सोनगरा (महाराणा के मामा मानसिंह सोनगरा के पुत्र), जो कि मेवाड़ में ही रह रहे थे, उनको मारवाड़ के मोटा राजा उदयसिंह ने अपने पास बुलाया और 30 गाँवों की जागीर दी |

"महाराणा प्रताप का आमेर पर हमला"


* महाराणा प्रताप ने आमेर के जगन्नाथ कछवाहा, मानसिंह वगैरह को सबक सिखाने के लिए कुंवर अमरसिंह व भामाशाह को आमेर भेजा

कुंवर अमरसिंह व भामाशाह ने आमेर के समृद्ध नगर मालपुरा को लूटकर तहस-नहस कर दिया

मालपुरा के अतिरिक्त चाटसू व लालसोटि नगरों पर भी कुंवर अमरसिंह के आक्रमण की बात अमरसार ग्रन्थ में लिखी गई है

"गुजरात अभियान"


* कुंवर अमरसिंह ने गुजरात के किसी शाही प्रदेश पर हमला किया व 70 हजार का धन दण्डस्वरुप (लूट) वसूल किए

"मुगल थानों पर हमले"


* जगन्नाथ कछवाहा ने कश्मीर जाने से पहले मेवाड़ में कई जगह मुगल थाने तैनात कर दिये थे

महाराणा प्रताप ने सभी मुगल थानों पर हमले किए व विजयी हुए

1587-88 ई.

* इन्हीं दिनों में महाराणा प्रताप के समकालीन कवि हेमरतन सूरि ने महाराणा प्रताप द्वारा लगातार संघर्ष करने के बारे में लिखा

"प्रतपई दिन-दिन अधिक प्रताप"

* अगले भाग में महाराणा प्रताप द्वारा जारी किए गए पडेर व बांधण के ताम्रपत्रों के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

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