* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 142
1583 ई.
"मांडल का युद्ध"
* अकबर ने मांडल के शाही थाने पर राव खंगार कछवाहा व नाथा कछवाहा के नेतृत्व में मुगलों, कछवाहा राजपूतों व अन्य मातहत राजपूतों को तैनात कर रखा था |
* दिवेर व कुम्भलगढ़ विजय के बाद महाराणा प्रताप ने भीलवाड़ा में स्थित मांडल के शाही थाने पर अचानक आक्रमण किया
* राजा भारमल का बेटा जगन्नाथ कछवाहा पहले ही भाग निकला
* मांडल के शाही थाने का मुख्तार राव खंगार कछवाहा था
मांडल में स्थित राव खंगार कछवाहा की छतरी पर मांडल के युद्ध में मरने वाले 8 प्रमुख राजपूतों के नाम लिखे हैं, जो इस तरह हैं :-
1) राव खंगार कछवाहा :-
ये मानसिंह का काका था | इसने हल्दीघाटी युद्ध में भी भाग लिया था | राव खंगार ने महाराणा प्रताप के मित्र राव दूदा हाडा को पराजित किया था | कछवाहों में राव खंगार को एक महान योद्धा का दर्जा मिला है | राव खंगार कछवाहों की खंगारोत शाखा का मूलपुरुष था |
महाराणा के हमले से राव खंगार कछवाहा शाही थाने की हिफाजत करता हुआ अपने साथियों समेत मारा गया
राव खंगार की 19 पत्नियाँ थीं, जिनमें से बहुत सी सती हुई
कछवाहों की ख्यातों में लिखा है कि "राव खंगार कछवाहा पुर-मांडल के शाही थाने की रक्षा कर रहे थे, कि तभी शत्रु ने पीछे से अचानक आक्रमण कर दिया | राव खंगार बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए"
पुर-मांडल में राव खंगार कछवाहा की छतरी बनाई गई, जो अब तक मौजूद है
2) नाथा कछवाहा :- ये जयपुर के कछवाहों में नाथावतों का मूलपुरुष था | नाथा कछवाहा चित्तौड़ विध्वंस (1568 ई.) व हल्दीघाटी युद्ध (1576 ई.) में मुगल फौज के साथ था | इस पर नाथावंशप्रकाश नामक ग्रन्थ भी लिखा जा चुका है | मांडल की इस लड़ाई में नाथा कछवाहा भी मेवाड़ी फौज के हाथों कत्ल हुआ |
"अकबर ने भेजे मांडल में,
खंगार राव अर नाथ कछावा |
राणा के हमले हुए पल भर में,
खंगार-नाथ का दमन हुआ ||"
3) दाद चवाण
4) मानै हामो
5) दुरम्यों तंवर
6) मुगो चवाण
7) घैड़ चवाण
8) सुरता
(ये नाम छतरी पर लिखे हैं | इसके अलावा बांकीदास री ख्यात में भी इन नामों का जिक्र हुआ है)
* अगले भाग में बांसवाड़ा के रावल मानसिंह चौहान पर महाराणा प्रताप द्वारा फौज भेजने के बारे में लिखा जाएगा
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
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