Saturday 23 September 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 89



* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 153

सितम्बर, 1588 ई.

"बांधण का ताम्रपत्र"


> यह ताम्रपत्र महाराणा प्रताप द्वारा जारी भामाशाह कावडिया द्वारा लिखित है

> आश्विन कृष्णा 7 संवत् 1645 को यह ताम्रपत्र प्रदान किया गया

> ताम्रपत्र के अनुसार महाराणा प्रताप ने आयस आणंदनाथ को सीदरी के गांव बांधण में 4 हल भूमि प्रदान की

24 अक्टूबर, 1588 ई.

"महाराणा प्रताप की जहांजपुर विजय"

> महाराणा प्रताप ने जहांजपुर पर हमला किया व विजयी हुए

> जहांजपुर में महाराणा के भाई जगमाल के वंशज रहा करते थे | साथ ही यहां मुगल चौकी भी थी, जो महाराणा द्वारा हटा दी गई |

"पडेर का ताम्रपत्र"

> यह ताम्रपत्र जहांजपुर विजय के उपलक्ष्य में महाराणा प्रताप द्वारा जारी व भामाशाह कावडिया द्वारा लिखित है

> यह ताम्रपत्र कार्तिक शुक्ला 15 संवत् 1645 को प्रदान किया गया

> महाराणा प्रताप ने जहांजपुर परगने के पडेर गांव में 11 हल भूमि तिवाड़ी (ब्राह्मण) सादुलनाथ, कानागोपाल को प्रदान की

(उस समय एक हल भूमि लगभग तीन बीघा के बराबर होती थी)

> यह गांव पहले महाराणा उदयसिंह जी द्वारा दान किया गया था, लेकिन इस जगह का पुनर्नवीकरण महाराणा प्रताप के समय हुआ

"अकबर द्वारा महाराणा के विरुद्ध संघर्ष विराम"

> चित्तौड़गढ़ व मांडलगढ़ के अलावा समस्त मेवाड़ पर महाराणा प्रताप ने अधिकार कर लिया

गौर से देखा जाए तो चित्तौड़गढ़ व मांडलगढ़ महाराणा उदयसिंह के समय ही मुगलों के हाथ लग चुके थे | महाराणा प्रताप के शासनकाल में जितना मुगलों ने छीना, उसे फिर से प्राप्त करने में महाराणा प्रताप सौ फीसदी सफल हुए |

> जिस समय अकबर के प्रकोप से बड़े-बड़े राजा बिना लड़े आत्मसमर्पण कर चुके थे, उस समय जंगलों में रहने वाले एक शख्स ने न सिर्फ समस्त मुगल साम्राज्य को चुनौती दी, बल्कि अपने से सौ गुना शक्तिशाली मुगल सल्तनत को इस तरह घुटनों पर झुका दिया कि महाराणा के जीते जी फिर कभी अकबर ने मेवाड़ पर हमला नहीं किया

अनगिनत युद्ध हारकर,
खुद अकबर ने किया विराम |
और कहते हैं कुछ अर्द्ध ज्ञानी,
हार गया राणा पर था बड़ा महान ||

> अकबर ने संघर्ष विराम कर दिया, लेकिन महाराणा प्रताप ने इस संघर्ष को जारी रखा और मेवाड़ के बाहर जो मुगल थाने थे, उनको लूटने का काम किया व मालवा, गुजरात, अजमेर के इलाकों में लूटमार की

* अगले भाग में महारानी अजबदे बाई के देहान्त, महाराणा प्रताप द्वारा सूरत की मुगल छावनियों में लूटमार व कुछ अन्य घटनाओं के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

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