Saturday 23 September 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 67



* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 131

1579 ई.

"महाराणा प्रताप के हाथों फरीद खां की करारी शिकस्त"

फरीद खां को इतना अभिमान था कि वह महाराणा प्रताप को पकड़ने के लिए जंजीर बनवाए बैठा था

महाराणा प्रताप मुगल फौज को चकमा देकर चावण्ड से निकले और फौजी टुकड़ी जमाकर फरीद खां को ही घेरने की योजना बना ली

महाराणा प्रताप ने इन विपरीत परिस्थितियों में फरीद खां की फौजी टुकड़ी को छापामार पद्धति से चारों तरफ से इस तरह घेरा कि एक भी मुगल जीवित नहीं बचा

फरीद खां अपनी पूरी फौजी टुकड़ी समेत चावण्ड की पहाड़ियों में कत्ल हुआ
महाराणा प्रताप

* महाराणा प्रताप के तेजमल सिसोदिया के घर में होने की झूठी खबर जब शाहबाज खां को मिली, तो उसने वहां छापा मारा

वहां महाराणा तो नहीं मिले, पर शाहबाज खां ने तेजमल सिसोदिया का घर लूट लिया और वहां कई लोगों का कत्लेआम किया

जून-जुलाई, 1580 ई.


* 8 महीनों की नाकामयाबी के बाद शाहबाज खां मेवाड़ से चला गया

* अबुल फजल शाहबाज खां की पराजय को छिपाते हुए लिखता है "आज शाहबाज खां शाही दरबार में आया, जिसे राणा को काबू में करने भेजा गया था | शाहबाज खां ने अपनी ताकत से राणा को बुरे दिनों में ढकेल दिया | राणा हर सुबह यही सोचता कि आज उसकी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होगा और फिर वह छालों से भरे हुए अपने पैर उठाता और भागता फिरता"

"अकबर द्वारा महाराणा प्रताप को पकड़ने या मारने की कोशिशें"

> शाहबाज खां जब तीसरी बार भी असफल हुआ तो अकबर ने उसे उसके पद से हटाकर दस्तम खां को अजमेर सौंपकर महाराणा प्रताप पर हमले करने का हुक्म दिया

दस्तम खां महाराणा प्रताप के विरुद्ध कोई कार्यवाही करता, उसके पहले ही वह कुछ कछवाहों की बगावत में मारा गया

ये बगावत आमेर के भारमल के भतीजों ने की थी
अकबर

> अकबर ने महाराणा प्रताप की खोज में गुजरात में शहाबुद्दीन अहमद खां को तैनात किया

> मालवा में शुजाअत खां को तैनात किया और शाही सिपहसालारों को सचेत रहने के हुक्म दिए

> गुजरात के एक सूबेदार को ईडर की सीमा पर तैनात किया, ताकि महाराणा प्रताप गुजरात न जा सके

* अगले भाग में दानवीर भामाशाह द्वारा महाराणा को धन भेंट करने, महाराणा प्रताप के सलूम्बर पर अधिकार के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

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