Saturday, 23 September 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 65



* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 129

15 दिसम्बर, 1578 ई.

"शाहबाज खां का दूसरा मेवाड़ अभियान"


* शाहबाज खां की कुम्भलगढ़ विजय से अकबर मन ही मन बहुत खुश हुआ, पर बाहर से इस बात की नाराजगी दिखाई की शाहबाज खां महाराणा प्रताप को पकड़ नहीं पाया

* अबुल फजल लिखता है "शहंशाह ने शाहबाज खां को काफी खजाने के साथ दूसरी बार शाही फौज की कमान सौंपकर मेवाड़ इस हुक्म के साथ भेजा कि अगर इस बार भी तुम राणा परताब (राणा प्रताप) को पकड़ने में नाकामयाब रहे, तो तुम्हें हमारी चमकती हुई तलवार का शिकार होना पड़ेगा"

* शाहबाज खां के साथ मेवाड़ जाने वाले सिपहसालार -

> गाजी खां बदख्शी
> मोहम्मद हुसैन
> मीर बर
> शैख तिमूर बदख्शी
> मिर्जादा अली खां

* शाहबाज खां जहांजपुर पहुंचा

जहांजपुर पर महाराणा प्रताप के भाई जगमाल का राज था

शाहबाज खां ने जहांजपुर में अपनी फौज जमा की और वहां से मेवाड़ पर कई हमले किए, पर हर बार नाकामयाब रहा
शाहबाज खां

* बिना किसी कामयाबी के शाहबाज खां ने जहांजपुर से अपने डेरे उठा लिए और फौज समेत मालवा पहुंचा

मालवा से उसने मेवाड़ पर कई हमले किए, पर उसका एक भी हमला सफल नहीं हुआ

* शाहबाज खां 6-7 महीनों तक लगातार हमले करता रहा और महाराणा प्रताप अपने मुट्ठी भर सैनिकों के साथ जगह-जगह पर उसका सामना करते रहे

महाराणा प्रताप की तरफ से भी कई वीर वीरगति को प्राप्त हुए

10 जून, 1579 ई.

* आखिरकार थक-हारकर शाहबाज खां फतेहपुर सीकरी लौट गया

"महाराणा प्रताप द्वारा जवाबी कार्यवाही"

* महाराणा प्रताप ने कुम्भलगढ़ के अलावा कई मुगल थानों पर हमले किये और विजय प्राप्त की

* ग्रन्थ अमरकाव्य के अनुसार महाराणा प्रताप ने तरवराधीश को जीतकर उसके निशान छीने

* इसी दौरान महाराणा प्रताप ने रणथम्भौर, घघेरा व मामरिका जैसे मुगल अधीनस्थ नगरों में छापामार हमले किए व भारी लूटमार की

लेकिन अब भी मेवाड़ में कई मुगल थाने थे, जो महाराणा कम फौज होने के कारण नहीं हटा पाए

* अगले भाग में शाहबाज खां के तीसरे मेवाड़ अभियान के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

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