Saturday, 23 September 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 54



* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 118

1577 ई.

"ठाकुर गोपालदास राठौड़ द्वारा गोडवाड़ में लूटमार"


महाराणा प्रताप ने घाणेराव के ठाकुर गोपालदास राठौड़ को देसूरी की नाल, कुम्भलगढ़ के निकट पर्वतीय भाग व गोडवाड़ के इलाके की निगरानी में तैनात किया

गोडवाड़ में ठाकुर गोपालदास राठौड़ ने मुगलों की सैनिक छावनी पर हमला कर लूटमार की

"रावत गोविन्ददास चुण्डावत का बलिदान"

महाराणा प्रताप ने बेगूं के पहले रावत गोविन्ददास चुण्डावत को जावद (नीमच) के थाने पर तैनात किया

अकबर ने मिर्जा शाहरुख को फौज देकर जावद की तरफ भेजा

मिर्जा शाहरुख के नेतृत्व में मुगल फौज ने यहां हमला किया, तो रावत गोविन्ददास बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए

रावत गोविन्ददास रावत साईंदास चुण्डावत के भाई रावत खेंगार के दूसरे पुत्र थे | रावत गोविन्ददास के बाद उनके पुत्र रावत मेघसिंह चुण्डावत हुए, जिन्होंने महाराणा प्रताप व महाराणा अमरसिंह जी का भरपूर साथ दिया |

"महाराणा प्रताप द्वारा चोरों का दमन"
हल्दीघाटी युद्ध के बाद से ही महाराणा की शक्ति को कमजोर समझकर मेवाड़ में मीणा जाति के कुछ लोगों ने चोरियां करनी शुरु कर दीं

महाराणा प्रताप ने चोरों का दमन कर मेवाड़ को इनसे निजात दिलाई

"महाराणा प्रताप की छापली विजय"

मेवाड़ के छापली गांव पर मुगल फौज ने हमला कर दिया

इस दौरान छापली में मेवाड़ी फौज बिल्कुल नहीं थी, तो यहां की प्रजा ने हथियार उठाए और मुगलों से भिड़ गए

करीब था कि छापली पर मुगलों का कब्जा होता, सही मौके पर सूचना पाकर महाराणा प्रताप अपनी फौजी टुकड़ी समेत छापली पहुंचे व यहां की प्रजा के साथ मिलकर मुगलों को करारी शिकस्त दी
छापली स्थित महाराणा प्रताप का विजय स्मारक

महाराणा प्रताप व छापली की प्रजा की इस ऐतिहासिक विजय की याद में यहां महाराणा प्रताप का एक स्मारक बनवाया गया, जिसे 'छापली का विजय स्मारक' कहते हैं | यह गांव 'छापली रणभूमि' के नाम से जाना जाता है |

(वर्तमान में इस स्मारक की हालत जर्जर है)

* अगले भाग में मोही के युद्ध के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

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