महाराणा प्रताप के इतिहास का भाग - 5
* ग्रन्थ वीरविनोद के अनुसार महाराणा प्रताप की 11 रानियाँ व 17 पुत्र थे व कोई भी पुत्री नहीं थी | लेकिन महाराणा प्रताप के समकालीन ख्यातों से उनकी 18 रानियाँ, 18 पुत्र व 6 पुत्रियों की जानकारी मिलती है |
* महाराणा प्रताप की 18 रानियां व उनके 18 पुत्र -
1) महारानी अजबदे बाई -
1557 ई. में बिजौलिया के सामन्त राम रख/माम्रख पंवार की पुत्री अजबदे बाई से महाराणा प्रताप का विवाह हुआ
आगे चलकर अजबदे बाई मेवाड़ की महारानी बनीं | महाराणा प्रताप की सभी रानियों में उनका सबसे अधिक साथ इन्होंने ही दिया | अजबदे बाई ने महाराणा प्रताप के लिए अपनी ज्योतिष विद्या से 100 वर्षों का पंचांग बनाया |
बिजौलिया दुर्ग |
अजबदे बाई के गुरु मथुरा के विट्ठल राय जी थे | गोंडवाना की रानी दुर्गावती व आमेर की हीर कंवर (जोधा बाई के नाम से मशहूर) ने भी इन्हीं गुरु से शिक्षा प्राप्त की |
गुरु विट्ठल राय जी को कृष्ण भक्ति के कारण मुगल यातनाएं भी सहनीं पड़ी | गोंडवाना की रानी दुर्गावती ने इन गुरु को 108 गांव प्रदान किए |
पुत्र -
१) महाराणा अमरसिंह :- अगले महाराणा बने
२) कुंवर भगवानदास :- इन्होंने एक छोटे ग्रन्थ की रचना की थी
2) रानी प्यार कंवर/पुरबाई सोलंकिनी -
पुत्र -
१) कुंवर गोपाल
२) कुंवर साहसमल - ये महाराणा प्रताप के तीसरे पुत्र थे | धरियावद के रावत इन्हीं के वंशज हैं | ये धरियावद के पहले कुंवर साहब भी हैं |
3) रानी फूलबाई राठौड़ - ये मारवाड़ के राव मालदेव की पौत्री व रामसिंह की पुत्री थीं |
पुत्र -
१) कुंवर चंदा सिंह - ये महाराणा प्रताप के दूसरे पुत्र थे | इन्हें आंजणा (दरिया के पास) की जागीर दी गई |
२) कुंवर शेखासिंह - ये महाराणा प्रताप के चौथे पुत्र थे | इन्हें बहेड़ा, नाणा, बीजापुर (गोडवाड़) की जागीर दी गई |
4) रानी चम्पाबाई झाली -
पुत्र -
१) कुंवर कचरा/काचरा सिंह - इन्हें गोगुन्दा तहसील में स्थित जोलावास की जागीर दी गई |
२) कुंवर सांवलदास :- इनको उदयपुर की सलूम्बर तहसील में स्थित स्थित जामुडा की जागीर दी गई |
३) कुंवर दुर्जन सिंह
5) रानी जसोदाबाई चौहान - ये करमसेन चौहान की पुत्री थीं |
पुत्र -
१) कुंवर कल्याणदास/कल्याणसिंह - इन्हें उदयपुर के निकट परसाद नामक जागीर दी गई |
6) रानी शाहमती/सेमता बाई हाडा - ये बूंदी के राव सुरतन/सुल्तान हाडा की पुत्री थीं |
पुत्र -
१) कुंवर पुरणमल - ये महाराणा प्रताप के 11वें पुत्र थे | इन्हें मांगरोप, गुरलां, गाडरमाला, सींगोली की जागीर दी गई | इनके वंशज पुरावत कहलाते हैं |
7) रानी आशाबाई/आसबाई खींचण - ये रायभाण जी की पुत्री थीं |
पुत्र -
१) कुंवर हाथी सिंह - इन्हें बोडावास, दांतड़ा व गेंडल्या की जागीर दी गई
२) कुंवर रामसिंह - इन्हें उडल्यावास व मानकरी का जागीर दी गई
8) रानी आमोलक/अालमदे बाई चौहान - ये बेदला के राव प्रतापसिंह चौहान की पुत्री थीं |
पुत्र -
१) कुंवर जसवन्त सिंह - इन्हें जालोद व कारुंदा की जागीर दी गई |
9) रानी रतन कंवर/रत्नावती पंवार - ये राव जगमाल पंवार की पुत्री थीं |
पुत्र -
१) कुंवर माल सिंह
10) रानी अमर बाई राठौड़ -
पुत्र -
१) कुंवर नाथा सिंह
11) रानी लखा बाई राठौड़ -
पुत्र -
१) कुंवर रायभाण सिंह
12) रानी रणकंवर राठौड़ :- ये पृथ्वीराज राठौड़ की पुत्री थीं |
13) रानी रत्नकंवर राठौड़ :- ये राव मानसिंह राठौड़ की पुत्री थीं |
14) रानी भगवत कंवर राठौड़ :- ये चावण्ड के राव लाखा राठौड़ की पुत्री थीं |
15) रानी माधो कंवर राठौड़ :- ये राव अखैराज राठौड़ की पुत्री थीं |
16) रानी फूलकंवर राठौड़ द्वितीय : ये भोजराज राठौड़ की पुत्री थीं |
17) रानी भटियानी जी :- इन रानी का नाम नहीं मिल पाया है | ये जैसलमेर के महारावल भीम की बहन थीं |
18) रानी देवल जी :- इन रानी का भी नाम नहीं मिल पाया है | ये लोयणा के ठाकुर रायधवल देवल की पुत्री थीं |
* मुंहणौत नैणसी ने अपनी ख्यात में महाराणा प्रताप के करमसी नाम के एक पुत्र का जिक्र किया है, पर ये नाम अन्य किसी भी ख्यात या ग्रन्थ में नहीं मिलता |
* महाराणा प्रताप की पुत्रियां -
ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि महाराणा प्रताप की कोई पुत्री नहीं थी, लेकिन कुछ इतिहासकारों के अनुसार महाराणा प्रताप की 6 पुत्रियाँ थीं, जिनके नाम इस तरह हैं :-
1) आशाकंवर जी :- इनका विवाह बड़ी सादड़ी के राजराणा झाला मान के पुत्र राजराणा झाला देदा से हुआ |
2) सुककंवर जी
3) रखमावती जी
4) रमा/राम कंवर जी
5) कुसुमावती जी
6) दुर्गावती जी
> अगले भाग में महाराणा प्रताप के परिवार से सम्बन्धित अन्य सदस्यों की जानकारी दी जाएगी
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
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