* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 108
अक्टूबर, 1576 ई.
"छापामार युद्धों के दौरान महाराणा प्रताप द्वारा जारी तीन ताम्रपत्र"
* महाराणा प्रताप ने कुम्भलगढ़ पहुंचकर वहां से कुछ गांव जो मुगलों के अधीन थे, उन पर हमले कर विजय प्राप्त की | ये गांव महाराणा ने आचार्य बलभद्र को दान में दे दिए और कुम्भलगढ़ में तीन ताम्रपत्र जारी किए, जो कुछ इस तरह हैं :-
1) संथाणा का ताम्रपत्र :-
> संथाणा गांव उदयपुर के उत्तर पूर्व में कांकरोली स्टेशन से लगभग 12 मील दूर स्थित है
> इस ताम्रपत्र का छायाचित्र कमिश्नर कार्यालय उदयपुर में सुरक्षित है
> इस ताम्रपत्र में 10 पंक्तियाँ लिखी हैं
> भाद्रपद शुक्ला 5 रविवार संवत १६३३ (1576 ई.) को महाराणा प्रताप के आदेश से भामाशाह कावडिया ने यह ताम्रपत्र लिखकर आचार्य बालाजी बा किसनदास बलभद्र को संथाणा गांव प्रदान किया
> ताम्रपत्र की अन्तिम पंक्तियों में यह भी लिखा है कि आचार्य बलभद्र का पुराना ताम्रपत्र चोरी हो गया था, इसलिए इसे नया कर दिया गया
2) पीपली का ताम्रपत्र :-
> पीपली गांव संथाणा गांव से 8 मील दूर स्थित है
> इस ताम्रपत्र में 8 पंक्तियाँ लिखी हैं
> भाद्रपद शुक्ला 11 रविवार संवत १६३३ (1576 ई.) को महाराणा प्रताप के आदेश से भामाशाह कावडिया ने यह ताम्रपत्र लिखकर आचार्य बालाजी बा किसनदास बलभद्र को पीपली गांव प्रदान किया
> मूल ताम्रपत्र खो गया था, इसलिए इसे नया कर दिया गया
3) मही का ताम्रपत्र :-
> इस ताम्रपत्र पर 9 पंक्तियाँ लिखी हैं
> इस ताम्रपत्र के अनुसार संवत १६३३ (1576 ई.) की आश्विन कृष्णा षष्ठि मंगलवार को महाराणा प्रताप ने आचार्य बलभद्र को मही (मोही) गांव में 3 रहट प्रदान किए
> इस ताम्रपत्र को भी भामाशाह कावडिया ने ही लिखा है
> अन्तिम पंक्तियों में लिखा है कि मूल ताम्रपत्र खो जाने ये नया कर दिया गया
* अकबर ने महाराणा प्रताप का साथ देने वाले मित्रों को पराजित करने के लिए उन पर हमले किए, जिनके बारे में अगले भाग में लिखा जाएगा
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
ये तीनो ताम्रपट काहा देखने को मिलेंगे
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