महाराणा प्रताप के इतिहास का भाग - 6
"मेवाड़ के इतिहास का भाग - 70"
* महाराणा प्रताप के 18 में से 16 ससुर जी की जानकारी कुछ इस तरह है :-
1) बिजौलिया के राव राम रख/माम्रख पंवार :- ये मेवाड़ की महारानी अजबदे बाई के पिता थे | ये बिजौलिया के तीसरे राव थे | राव माम्रख जी के तीन पुत्र / महारानी अजबदे बाई के भाई :-
> राव डूंगरसिंह पंवार :- ये बिजौलिया के चौथे राव थे | ये चित्तौड़ के तीसरे साके में काम आए |
> राव शुभकरण पंवार :- ये बिजौलिया के पाँचवे राव थे | इन्होंने महाराणा प्रताप व महाराणा अमरसिंह का साथ दिया |
> पहाडसिंह पंवार :- इन्होंने हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ दिया |
2) बेदला के प्रतापसिंह चौहान :- ये बेदला के तीसरे राव थे | इनके पुत्र बलभद्र सिंह हुए |
3) ईडर के राव नारायणदास राठौड़ :- ये ईडर के 16वें राव थे | इन्होंने छापामार युद्धों में महाराणा प्रताप का भरपूर साथ दिया | महाराणा प्रताप और राव नारायणदास मिलकर ईडर में मुगलों के विरुद्ध 2 युद्ध लड़े, जिनका हाल मौके पर लिखा जाएगा | राव नारायणदास के 3 पुत्र व 2 पुत्रियां हुईं | दूसरी पुत्री का विवाह देवलिया रावत भानुसिंह से हुआ, जो मेवाड़ के खिलाफ थे |
4) बूंदी के राव सुरतन/सुल्तान हाडा :- इन्होंने अपने ही सामन्तों की आँखें निकलवा ली थीं, इसलिए महाराणा उदयसिंह ने इनको 1554 ई. में गद्दी से खारिज कर राव सुर्जन हाडा को बूंदी का मालिक बनाया था | इस घटना के कुछ वर्षों बाद महाराणा प्रताप का विवाह राव सुरतन/सुल्तान की पुत्री रानी शाहमती बाई हाडा से हुआ |
5) जैसलमेर के हरराय भाटी :- इन्होंने अकबर के नागौर दरबार (1570 ई.) में मुगल अधीनता स्वीकार की | इनके देहान्त के बाद महारावल भीम ने अपनी बहिन का विवाह महाराणा प्रताप से करवा दिया |
6) मारवाड़ के राव रामसिंह राठौड़ :- इन्होंने भी मुगल अधीनता स्वीकार की | ये महाराणा प्रताप की रानी फूल कंवर के पिता थे |
7) लोयणा के ठाकुर रायधवल देवल :- इन्होंने छापामार युद्धों के समय महाराणा प्रताप की सहायता की थी |
8) बड़ी सादड़ी के राजराणा सुरतन सिंह झाला :- ये चित्तौड़ के तीसरे साके (1568 ई.) में वीरगति को प्राप्त हुए |
9) रायभाण खींचण
10) पृथ्वीराज राठौड़
11) भोजराज राठौड़
12) राव जगमाल पंवार
13) राव अखैराज राठौड़
14) करमसेन चौहान
15) राव मानसिंह राठौड़
16) राव लाखा राठौड़
* महाराणा प्रताप के प्रमुख बहनोई :-
1) ग्वालियर के कुंवर शालिवाहन तोमर :- ये ग्वालियर नरेश रामशाह तोमर के पुत्र थे | कुंवर शालिवाहन तोमर हल्दीघाटी युद्ध में सबसे अन्त में वीरगति को प्राप्त हुए थे |
2) बीकानेर के पृथ्वीराज राठौड़ :- ये महाराणा प्रताप के बहनोई थे, लेकिन किसी इतिहासकार ने इनको महाराणा प्रताप के भाई शक्तिसिंह का दामाद लिख दिया | पृथ्वीराज राठौड़ उम्र में शक्तिसिंह से भी बड़े थे, इसलिए ये उनके दामाद नहीं हो सकते | शक्तिसिंह की पुत्री और पृथ्वीराज राठौड़ की पत्नी द्वारा अागरा के मीना बाजार में अकबर की छाती पर पैर रखने की कथा भी काल्पनिक मात्र है | ऐसी ही एक कथा गुजरात की किसी राजकुमारी के नाम से भी मशहूर है | पृथ्वीराज राठौड़ के 3 विवाह हुए थे, जिनमें से एक महाराणा प्रताप की बहन से हुआ | पृथ्वीराज राठौड़ अकबर के दरबार में उच्च कोटि के कवि थे | इन्होंने 'वेली किसन रुक्मिणी री' नामक रचना की |
3) बीकानेर के राजा रायसिंह राठौड़ :- ये अकबर के प्रमुख राजपूत मनसबदारों में से एक थे | राजा रायसिंह ने महाराणा प्रताप के विरुद्ध मुगल सैन्य अभियानों में भाग लिया था |
4) मारवाड़ के राव चन्द्रसेन राठौड़ :- इन्हें मारवाड़ का राणा प्रताप भी कहा जाता है | इन्होंने छापामार युद्धों में महाराणा प्रताप का साथ दिया |
5) देलवाड़ा के झाला मानसिंह :- ये हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए | इनके पुत्र शत्रुसाल झाला हुए, जो महाराणा प्रताप के भाणजे थे |
6) सिरोही के राव उदयसिंह देवड़ा
7) जैसलमेर के कुंवर मालदेव भाटी :- इन्होंने अमीर अली को मारकर जैसलमेर के अर्द्धसाके में विजय प्राप्त की थी |
> अगले भाग में महाराणा प्रताप के जीवन से सम्बन्धित 1557 ई. के बाद की कुछ घटनाओं के बारे में लिखा जाएगा
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
NiceInformation Sir
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