Tuesday 31 January 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 28

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास


* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 92

21 जून, 1576 ई.

"हल्दीघाटी का युद्ध"


"मेहतर खां का षडयन्त्र"

> भागती मुगल फौज को रोकने के लिए मेहतर खान ने ढोल पीटकर अफवाह फैलाई कि "शहंशाह खुद यहां आ रहे हैं"

तब कहीं जाकर मुगल फौज ने भागना बन्द किया और भागने वाले शाही सिपहसालार फिर से लौटकर आ गए

> इतने में चन्दावल में तैनात फौज माधोसिंह कछवाहा और मेहतर खां के नेतृत्व में आगे बढी

"युद्ध के समय कुंवर अमरसिंह की भूमिका"

> 17 वर्षीय कुंवर अमरसिंह ने हल्दीघाटी युद्ध में भाग नहीं लिया, क्योंकि महाराणा प्रताप ने युद्ध से पहले रनिवास का उत्तरदायित्व कुंवर अमरसिंह को दिया था

> राणा पूंजा भील का रिश्तेदार रुपा नाम का एक भील युद्ध की शुरुआत में ही भाग निकला, जिसे कुंवर अमरसिंह ने प्रतिशोध स्वरुप उदयपुर के महलों में मार डाला

"पानरवा के भील सर्दार राणा पूंजा का योगदान"

> हल्दीघाटी युद्ध में 400 भीलों का नेतृत्व करने वाले राणा पूंजा भील ने बड़ी बहादुरी दिखाई

> राणा पूंजा के इस युद्ध में वीरगति पाने वाली बात सही नहीं है, क्योंकि वे इस युद्ध में जीवित रहे व बाद में छापामार युद्ध में भी महाराणा का साथ दिया | राणा पूंजा का देहान्त हल्दीघाटी युद्ध के 34 वर्ष बाद 1610 ई. में हुआ था |

भीलू राणा पूंजा
> वीरविनोद के लेखक कविराज श्यामलदास ने भीलों की उपेक्षा की है, उन्होंने अपने विशाल ग्रन्थ में भीलों पर सिर्फ एक पंक्ति लिखी, जिसमें भी राणा पूंजा के भागने की बात लिखी, जो कि सही नहीं है

> अब्दुल कादिर बंदायूनी ने भीलों का कोई उल्लेख नहीं किया, क्योंकि ये 400 भील मेवाड़ी फौज में सबसे पीछे चन्दावल में खड़े थे

> युद्ध के दौरान महाराणा प्रताप ने भीलों की एक सैनिक टुकड़ी मुगल सेना की छावनी में भेजी | सभी मुगल युद्धभूमि में थे | छावनी में कुछ मुगल सैनिक व रसद का सामान था | भीलों ने छावनी पर हमला कर बचे खुचे मुगलों को मारकर रसद का सारा सामान लूट लिया |

(इस लूट के बाद मुगल फौज को खाने पीने की जो तकलीफ हुई, उसका हाल मौके पर लिखा जाएगा)

"पाली के मानसिंह सोनगरा का बलिदान"

पाली के मानसिंह सोनगरा चौहान

महाराणा प्रताप के ज्येष्ठ मामा मानसिंह सोनगरा बायीं ओर खड़े थे | वे मुगल पक्ष के दायीं ओर खड़े सैयदों से भिड़ गए और उनसे लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए |

"देलवाड़ा के मानसिंह झाला का बलिदान"

देलवाड़ा के मानसिंह झाला

देलवाड़ा के झाला मानसिंह भी सैयदों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए

* अगले भाग में महाराणा प्रताप द्वारा बहलोल खां वध के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

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