Tuesday, 31 January 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 1

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास


* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 65

आज के भाग में महाराणा प्रताप का इतिहास लिखने में जिन ग्रन्थों, ख्यातों, किताबों, फारसी तवारिखों, शिलालेखों, प्रशस्तियों व ताम्रपत्रों का उपयोग किया गया है, उनके बारे में लिखा गया है, जो कुछ इस तरह हैं :-

ग्रन्थ :-

> वीरविनोद :- मेवाड़ के प्रसिद्ध इतिहासकार कविराज श्यामलदास ने इस ग्रन्थ की रचना महाराणा सज्जनसिंह के समय की |

> सगतरासो :- सगतरासो ग्रन्थ के लेखक गिरधर आसिया हैं | सगतरासो ग्रन्थ खास तौर से महाराणा प्रताप के भाई शक्तिसिंह के जीवन पर आधारित है | यह ग्रन्थ महाराणा प्रताप के देहान्त के 66 वर्ष बाद लिखा गया |

> राजरत्नाकर :- इसके लेखक सदाशिव हैं |

> अमरसार :- इसके लेखक जीवधर हैं |

> अमरकाव्य वंशावली :- इसके लेखक रणछोड़ भट्ट हैं |

> राणा रासो :- यह ग्रन्थ महाराणा प्रताप के देहान्त के 20 वर्ष बाद लिखा गया | इस ग्रन्थ में 875 छन्द हैं |

> मानप्रकाश :- ये ग्रन्थ आमेर के राजा मानसिंह के जीवन पर आधारित है | इसमें हल्दीघाटी युद्ध का वर्णन भी है |

* फारसी तवारिखें :-

> अकबरनामा :- अकबर के दरबारी लेखक अबुल फजल ने अकबरनामा लिखा |

> मुन्तखब-उत-तवारिख :- अकबर के दरबारी लेखक अब्दुल कादिर बंदायूनी ने ये तवारिख लिखी | लेखक हल्दीघाटी युद्ध में मुगल फौज की तरफ से हरावल दस्ते में मौजूद था | इसने हल्दीघाटी युद्ध का आँखों देखा वर्णन किया है | लेखक हल्दीघाटी के बाद भी महाराणा प्रताप के विरुद्ध अकबर द्वारा भेजे गए कुछ सैन्य दस्तों में मौजूद रहा |

> तबकात-ए-अकबरी :- अकबर के दरबारी लेखक निज़ामुद्दीन अहमद बख्शी ने ये तवारिख लिखी | लेखक हल्दीघाटी युद्ध के बाद गोगुन्दा के युद्ध में मुगल फौजी दस्ते में मौजूद था |

> तारीख-ए-अकबरी :- इसका लेखक हाजी मोहम्मद आरिफ कन्धारी था | यह अकबर का दरबारी लेखक था | इसने कुम्भलगढ़ के युद्ध का वर्णन किया है |

> इकबालनामा-ए-जहांगिरी :- इसका लेखक मौतमिद खां था |

> सवानीह-ए-अकबरी

* दोहे, वात व ख्यातें :-

> चारण रामा सांदू के दोहे :- चारण कवि रामा सांदू हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की फौज में शामिल थे | इन्होंने दोहों के माध्यम से हल्दीघाटी युद्ध का वर्णन किया है |

> गोरधन बोगस के दोहे :- गोरधन बोगस हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की फौज में शामिल थे | इन्होंने हल्दीघाटी युद्ध के बाद कुम्भलगढ़ के युद्ध में भी महाराणा प्रताप का साथ दिया |

> माला सांदू के दोहे :- ये महाराणा प्रताप के समकालीन चारण थे

> रावल राणा री वात

> राणा प्रताप री वात

> वंशावलियाँ

> बांकीदास री ख्यात

> मुंहणौत नैणसी री ख्यात

* अंग्रेज इतिहासकारों की किताबें :-

> अकबर दी ग्रेट मुगल :- इसके लेखक विन्सेंट स्मिथ हैं |

> एनल्स एण्ड एन्टीक्वीटीज़ ऑफ राजस्थान :- इसके लेखक कर्नल जेम्स टॉड हैं | कर्नल जेम्स टॉड ने अपने लेख में इतिहास से अधिक भावनाओं को महत्व दिया |

> इनके अलावा अंग्रेज इतिहासकार फ्रेडरिक व हैरिस की किताबों में से भी कुछ अंश लिए गए हैं |

* प्रशस्तियाँ, शिलालेख व ताम्रपत्र :-

> राजप्रशस्ति :- महाराणा राजसिंह ने राजसमन्द झील की पाल पर यह प्रशस्ति खुदवाई, जिस पर महाराणा प्रताप से सम्बन्धित भी कुछ घटनायें हैं |

> शिलालेख :- महाराणा प्रताप के समय के महत्वपूर्ण शिलालेखों का वर्णन भी महाराणा प्रताप के इतिहास में आगे किया जाएगा |

> ताम्रपत्र :- महाराणा प्रताप द्वारा जारी किए गए ताम्रपत्रों का वर्णन भी आगे किया जाएगा | ताम्रपत्र उन्हें जारी किए जाते थे, जिनको दान या जागीरें दी जानी होती थीं | अधिकतर ताम्रपत्र भामाशाह जी द्वारा लिखे गए थे |

* महत्वपूर्ण किताबें :-

> झाला राजवंश - बड़ी सादड़ी ठिकाने का इतिहास :- इसके लेखक देवीलाल पालीवाल व राजराणा हिम्मत सिंह हैं |

> उदयपुर राज्य का इतिहास :- इसके लेखक गौरीशंकर हीराचन्द ओझा हैं | ये कविराज श्यामलदास के शिष्य थे |

> सिरोही राज्य का इतिहास :- इसके लेखक गौरीशंकर हीराचन्द ओझा हैं | इस किताब से महाराणा प्रताप की सिरोही राज्य से सम्बन्धित जो घटनायें हैं, उनका वर्णन लिया गया है |

* अन्य किताबें :-

> मेवाड़ के महाराणा और शहंशाह अकबर :- इसके लेखक राजेन्द्र शंकर भट्ट हैं |

> महाराणा प्रताप :- इस किताब के लेखक भवान सिंह राणा हैं |

> राष्ट्रगौरव शूरवीर महाराणा प्रताप

> हल्दीघाटी का युद्ध और महाराणा प्रताप

> भारत का वीर योद्धा महाराणा प्रताप

> स्वतंत्रता के पुजारी महाराणा प्रताप

> हल्दीघाटी का योद्धा

> युगपुरुष महाराणा प्रताप

> महाराणा प्रताप के प्रमुख सहयोगी

> परम्परा

> मरु भारती

> महाराणा प्रताप से सम्बन्धित स्रोत एवं स्थान

> महाराणा प्रताप और उनका युग

(अगले भाग में महाराणा प्रताप की खूबियों व दिलचस्प जानकारियों के बारे में लिखा जाएगा)

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

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