Saturday, 23 September 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 57


कुम्भलगढ़ दुर्ग

* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 121

"कुम्भलगढ़ का युद्ध"

सितम्बर, 1577 ई.


* अकबर का देपालपुर से शिविर उठने के बाद महाराणा प्रताप फिर सक्रिय हो गए

महाराणा प्रताप ने मुगल चौकियों पर हमले करना शुरु कर दिया

18 सितम्बर, 1577 ई.

* अकबर अजमेर पहुंचा और ख्वाजा की दरगाह पर मन्नतें मांगी, बहुत दान वगैरह किया

महाराणा प्रताप के लिए अबुल फजल लिखता है

"कुछ बागी लोगों पर फतह पाने के इरादे से शहंशाह ने अजमेर पहुंचकर ख्वाजा की इबादत की | शहंशाह ने गर्दीले और हेकड़ी में गर्दन कड़ी करने वाले शैतानी खयालों से सराबोर राणा को रास्ते पर लाने की कोशिशें की | अगर इसमें कामयाबी ना मिले, तो एेसे लोगों को पूरी तरह जड़ समेत उखाड़ देना चाहिए | ताकि इस खुशहाल दूनिया से वह बगावत का कलंक दूर हो सके | इस इरादे से शहंशाह ने इस अज़ीम (महान) काम को पूरा करने की खातिर बिहार और सिरोही जीतने वाले नामी और बहादुर जंगज़ू मीर बख्शी शाहबाज खां को राणा के खिलाफ भेजने का फैसला किया"

5 अक्टूबर, 1577 ई.

* अकबर अजमेर से मारवाड़ पहुंचा

तकरीबन 1 वर्ष तक मुगल बादशाह अकबर ने मेवाड़ और उसके आसपास रहकर महाराणा प्रताप के खिलाफ कईं फौजें भेजी, पर हर बार नाकामयाबी मिली

एेसा पहली बार हुआ, जब मुगल बादशाह अकबर किसी एक अभियान के लिए लगातार एक वर्ष तक अपनी राजधानी छोड़कर उस अभियान के पीछे लगा रहा

15 अक्टूबर, 1577 ई.

* अकबर ने शाहबाज खान के नेतृत्व में एक विशाल सेना मेवाड़ भेजी

शाहबाज खान के साथ मेवाड़ जाने वाले प्रमुख सिपहसालार -

> कुंवर मानसिंह कछवाहा (आमेर)

> राजा भगवानदास कछवाहा (आमेर)

> गजरा चौहान

> दलपत

> अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना (बैरम खां का बेटा)

> सैयद हाशिम

> उलग असद तुर्कमान

> पायिन्दा खां मुगल

> सैयद राजू

> शरीफ खां

> गाजी खां बदख्शी

इस बार मुगलों का लक्ष्य कुम्भलगढ़ दुर्ग था

इस वक्त महाराणा प्रताप मेवाड़ की राजधानी कुम्भलगढ़ में ही थे

अक्टूबर-नवम्बर, 1577 ई.


* शाहबाज खान ने मुगल फौज के साथ कुम्भलगढ़ से दूर केलवाड़ा में पड़ाव डाला

'दलपत विजय' ग्रन्थ में लिखा है कि "केलवाड़ा के खेमे में मानसिंह को मारने का प्रयास करने वाले राजपूत को रामपुरा के दुर्गा सिसोदिया ने पकड़ लिया"

(हालांकि इस ग्रन्थ में ये नहीं लिखा कि ये राजपूत कौन था व किसका आदमी था)

* महाराणा प्रताप ने अपने थोड़े बहोत सैनिकों को केलवाड़ा में शाही खेमे पर हमला करने भेजा

अचानक हुए इस हमले को शाही फौज समझ ही नहीं सकी

4 मुगल हाथी लूटकर महाराणा प्रताप को भेंट किए गए

* कुम्भलगढ़ का युद्ध... अगले भाग में जारी...

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

No comments:

Post a Comment