Tuesday, 31 January 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 45



* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 109

अक्टूबर, 1576 ई.

"अकबर का दूसरा मेवाड़ अभियान"

* अकबर पहली बार मेवाड़ 1567 ई. में आया था और चित्तौड़ में भयंकर विध्वंस हुआ | इस दौरान अकबर पांच महीनों तक मेवाड़ में ही रुका था |

अब अकबर नौ साल बाद 1576 ई. में फिर से मेवाड़ आया | इस बार अकबर मेवाड़ और मेवाड़ के आसपास लगभग एक वर्ष तक रहा और महाराणा को पकड़ने या मारने के हरसम्भव प्रयास किए |
अकबर

* अकबर के साथ मेवाड़ आने वाले प्रमुख बादशाही सिपहसालार :-

> कुंवर मानसिंह कछवाहा (आमेर)
> राजा भगवानदास कछवाहा (आमेर)
> भगवन्तदास कछवाहा (मानसिंह का काका)
> जगन्नाथ कछवाहा (मानसिंह का काका)
> नाथा कछवाहा (राजा भारमल के भाई गोपाल सिंह का बेटा)
> मनोहरदास कछवाहा (नाथा कछवाहा का बेटा)
> राव खंगार कछवाहा (राजा भारमल का भतीजा)
> राजा रायसिंह राठौड़ (बीकानेर)
> हीरा भान
> लूणकरण
> राजा बीरबल (अकबर के नवरत्नों में से एक)
> तरसुन खां
> कुतुबुद्दीन खां
> सैयद हाशिम
> शाहबाज खां
> मुजाहिद बेग
> गाज़ी खां बदख्शी
> सुभान कुली तुर्क
> शरीफ खां अतका
> कोकलताश
> आसफ खां
> कुतुब खां
> मिर्जा मुहम्मद मुफीम
> मुहम्मद मुकीम
> कुलीज खां
> तैमूर बदख्शी
> ख्वाजा गयासुद्दीन
> नूर किलीज
> मीर अबुलगौस
> नकीब खां
> उमर खां
> हसन बहादुर
> अब्दुल्ला खां
> शाह फखरुद्दीन
> जलालुद्दीन बेग
> अब्दुर्रहमान मुअयिद बेग
> कासिम खां मीरबहर
> अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना (बैरम खां का बेटा)

* अकबर ने मेवाड़ में आते ही सबसे पहले महाराणा प्रताप के मित्रों को पराजित करने के लिए फौजें रवाना की, ताकि महाराणा की शक्ति को कम किया जा सके

"सिरोही व जालौर पर हमला"

> अकबर ने बीकानेर के राजा रायसिंह राठौड़ (महाराणा प्रताप के बहनोई) को सिरोही व जालौर भेजा

राजा रायसिंह ने सिरोही के राव सुरताण देवड़ा व जालौर के नवाब ताज खां को बन्दी बनाकर मुगल दरबार में पेश किया, जहां इन दोनों ने बादशाही मातहती कुबूल की

> राव सुरताण सिरोही लौट आए और कुछ महीनों तक शान्त रहे
(हालांकि बाद में इन्होंने फिर से मुगलों के खिलाफ बगावत कर दी थी, लेकिन कुछ महीनों तक राव सुरताण मुगल विरोध नहीं कर पाए जिससे अकबर को मदद मिली)

> जालौर के ताज खान ने फिर कभी मुगलों का विरोध नहीं किया | जालौर पर मुगलों का अधिकार हुआ |

"ईडर पर हमला"

> अकबर ने महाराणा प्रताप के ससुर ईडर के राय नारायणदास को पराजित किया, जिससे राय नारायणदास को भी कुछ महीनें शान्त रहना पड़ा

अबुल फजल लिखता है "शहंशाह ने एक फौज ईडर पर भेजी, जहां का राजा नारायणदास भी बगावत का झण्डा उठाकर राणा की तरफदारी करता था"

"राव दूदा हाडा पर हमला"

> अकबर ने महाराणा के मित्र राव दूदा हाडा को पराजित करने के लिए राव खंगार कछवाहा (मानसिंह के काका) को भेजा

राव दूदा पराजित हुए, पर बच निकले और बादशाही मातहती कुबूल नहीं की

"राव चन्द्रसेन पर हमला"

> अकबर ने महाराणा के बहनोई मारवाड़ के राव चन्द्रसेन राठौड़ को पकड़ने के लिए शाहबाज खां को भेजा, पर शाहबाज खां को सफलता नहीं मिली

* अगले भाग में बदनोर व गोगुन्दा की लड़ाईयों के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

No comments:

Post a Comment