हल्दीघाटी युद्ध के बाद महाराणा प्रताप के समक्ष उनके सामन्त स्वामिभक्ति का आश्वासन देते हुए |
* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 103
जून, 1576 ई.
"हल्दीघाटी युद्ध के बाद मेवाड़ के प्रमुख सामन्त"
1) झाड़ौल के राजराणा देदा झाला :- ये हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति पाने वाले झाला मान/झाला बींदा के पुत्र थे | महाराणा प्रताप जब कोल्यारी गांव में उपचार करवा रहे थे, तब उन्होंने कुंवर अमरसिंह को झाड़ौल भेजकर देदा जी को कोल्यारी बुलवाया | महाराणा ने देदा जी को झाड़ौल की राजगद्दी का तिलक देकर तलवारबन्दी की रस्म पूरी की | महाराणा ने राजराणा देदा को दरबार में अपने मुंह बराबर बैठक प्रदान की |
2) घाणेराव के ठाकुर गोपालदास राठौड़
3) भामाशाह कावड़िया
4) ताराचन्द कावड़िया :- ये भामाशाह के भाई थे
5) महासहानी रामा :- महाराणा प्रताप ने इनको मेवाड़ का प्रधान घोषित किया |
6) सलूम्बर रावत कृष्णदास चुण्डावत
7) रामा सांदू (चारण कवि)
8) गोरधन बोगस (चारण कवि)
9) पानरवा के राणा पूंजा भील :- हल्दीघाटी युद्ध के बाद छापामार युद्धों में इनका योगदान उल्लेखनीय रहा |
10) मांडण कूंपावत
11) देवगढ़ के दूसरे रावत दूदा चुण्डावत :- ये हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति पाने वाले रावत सांगा चुण्डावत के पुत्र थे |
12) बनोल के ठाकुर तेजमल राठौड़
13) जवास के 9वें रावत बाघसिंह
14) कानोड़ के रावत भाण सारंगदेवोत :- ये हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति पाने वाले रावत नैतसिंह सारंगदेवोत के पुत्र थे |
15) बेदला के बलभद्र सिंह चौहान
16) बिजौलिया के राव शुभकरण पंवार :- ये मेवाड़ की महारानी अजबदे बाई के भाई थे | इनके पिता राव माम्रख जी व दो भाई (पहाडसिंह, डूंगरसिंह) हल्दीघाटी युद्ध में काम आए |
17) महता नरबद
18) भाण सोनगरा चौहान :- ये महाराणा प्रताप के दूसरे मामा थे |
19) बेगूं के पहले रावत गोविन्ददास चुण्डावत
20) सरदारगढ़ के 9वें ठाकुर गोपालदास डोडिया
21) बदनोर के ठाकुर मुकुन्ददास मेड़तिया
22) देलवाड़ा के चौथे राजराणा कल्याणसिंह झाला :- ये हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति पाने वाले मानसिंह झाला के पुत्र थे |
23) देलवाड़ा के शत्रुसाल झाला :- ये महाराणा प्रताप के भाणजे व कल्याणसिंह झाला के छोटे भाई थे |
23) कोठारिया के रावत पृथ्वीराज चौहान
24) देवलिया महारावत तेजसिंह
"हल्दीघाटी युद्ध के बाद महाराणा प्रताप का साथ देने वाले राजपरिवार के प्रमुख सदस्य"
1) महाराज शक्तिसिंह :- ये हल्दीघाटी युद्ध के बाद मुगल सेवा छोड़कर महाराणा का साथ देने मेवाड़ आ गए |
2) कुंवर भगवानदास :- ये महारानी अजबदे बाई के दूसरे पुत्र व कुंवर अमरसिंह के छोटे भाई थे |
3) कुंवर शैखासिंह :- ये महाराणा प्रताप व रानी फूल कंवर राठौड़ के पुत्र थे |
4) कुंवर पुरणमल :- ये महाराणा प्रताप के 11वें पुत्र थे | महाराज (बाबा) इनकी उपाधि है |
* अगले भाग में महाराणा प्रताप के प्रिय हाथी रामप्रसाद के देहान्त के बारे में लिखा जाएगा
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
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