* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 156
1592 ई.
* इस वर्ष 5 जनवरी को अकबर के पौत्र व जहांगीर के पुत्र खुर्रम का जन्म हुआ, जो बाद में शाहजहां के नाम से मशहूर हुआ
* चावण्ड चित्रशैली के प्रसिद्ध चित्रकार नसीरुद्दीन की कृति "ढोलामारु" (1592 ई.) है, जो नई दिल्ली संग्रहालय में सुरक्षित है | नसीरुद्दीन महाराणा प्रताप के प्रसिद्ध दरबारी चित्रकार थे |
नसीरुद्दीन (बायें से पहले) व चक्रपाणि (बायें से तीसरे) |
1593 ई.
* बांसवाड़ा के महारावत तेजसिंह का देहान्त हुआ | रावत भानुसिंह बांसवाड़ा की गद्दी पर बैठा और मुगलों की ताबेदारी कुबूल की |
1594 ई.
"डाईलाणा का ताम्रपत्र"
> यह ताम्रपत्र महाराणा प्रताप द्वारा आश्विन शुक्ला 15 संवत् 1651 (1594 ई.) को जारी गया
> इस ताम्रपत्र में गोडवाड क्षेत्र के डाईलाणा गांव में रोहीतास चौधरी को 4 खेत व 1 रहट प्रदान करने का आदेश है
> ताम्रपत्र में इस भूमि का भूमिकर साढ़े 4 कलसी लिखा हुआ है
('कलसी' शब्द नाप के पात्र के लिए प्रयोग हुआ है)
"महाराज शक्तिसिंह का देहान्त"
> भैंसरोडगढ़ दुर्ग में महाराणा प्रताप की मौजूदगी में उनके भाई शक्तिसिंह जी का देहान्त
> शक्तिसिंह जी के संभवत: 17 पुत्र हुए, ये सभी बड़े बहादुर थे
> इनके दो पुत्रों अचलदास व बल्लु से अकबर के शाही दरबार में आगरा के किलेदार रामदास कछवाहा ने कहा कि अपनी-अपनी तलवारें शहंशाह के सामने डालो
दोनों ने बिना किसी खौफ के तलवार डालने से मना किया
महाराणा प्रताप को जब इस घटना कि सूचना मिली, तो उन्होंने अचलदास को अपने पास बुलाकर देसूरी का पट्टा दे दिया
> महाराणा प्रताप ने शक्तिसिंह जी के पुत्र भाण को भीण्डर की जागीर दी
"राव पत्ता हाडा का दमन"
> खैराड़ नामक स्थान का राव पत्ता हाडा महाराणा प्रताप का आदर नहीं करता था | एक बार वह अपने भाई उदयसिंह के साथ शक्तावतों की गायें खोलने गया, जिन्हें छुड़ाने में शक्तिसिंह जी के पुत्र चतुर्भुज वीरगति को प्राप्त हुए |
> महाराणा प्रताप ने शक्तिसिंह जी के पुत्र अचलदास को भेजा
अचलदास अपने 4 भाईयों के साथ गए और पानगढ़ दुर्ग को घेर लिया, पर राव पत्ता बच निकला
कुछ समय बाद फिर इनका आमना-सामना हुआ और राव पत्ता मारा गया
1595 ई.
* अकबर की सिन्ध व बलूचिस्तान विजय
* इसी वर्ष सलूम्बर रावत कृष्णदास चुण्डावत का देहान्त हुआ | महाराणा प्रताप के सभी सामन्तों में से इनका साथ सबसे अधिक रहा | ये महाराणा के सबसे करीबी सामन्त रहे | इनकी 9 रानियाँ व 10 पुत्र थे | सबसे बड़े पुत्र जैतसिंह चुण्डावत सलूम्बर के 8वें रावत साहब बने |
रावत कृष्णदास चुण्डावत |
1596 ई.
* अकबर के पौत्र व जहांगीर के पुत्र शहरयार का जन्म हुआ
* ईडर के शासक वीरमदेव राठौड़ की आमेर के महलों में हत्या कर दी गई
महाराणा प्रताप की एक रानी वीरमदेव की बहिन थीं
वीरमदेव की कोई सन्तान नहीं थी | इसलिए इनका भाई कल्याणमल ईडर का शासक बना | कल्याणमल ने मेवाड़ से बगावत की |
दिसम्बर-जनवरी, 1597 ई.
"महाराणा प्रताप की नसों में खिंचाव"
महाराणा प्रताप को सूचना मिली की एक शेर इन्सानों व गाय-भैंसों का शिकार कर रहा है
महाराणा प्रताप शेर का शिकार करने जंगल में पधारे
धनुष की प्रत्यन्चा चढ़ाते वक्त महाराणा की नसों में जबर्दस्त खिंचाव हुआ
महाराणा प्रताप तकरीबन महीने भर तक इस पीड़ा को सहते रहे
वैद्य ने उपचार किया, पर कोई फायदा नहीं हुआ
राजपूताने की लाज रखने वाले इस महान योद्धा का अन्त निकट जानकर राजपूताने की बड़ी-बड़ी हस्तियों से लेकर मेवाड़ की प्रजा तक हर कोई उनका हालचाल पूछने चावण्ड आया
महाराणा प्रताप ने कुंवर अमरसिंह का हाथ अपने हाथ में लिया और उनसे कहा कि मेवाड़ की स्वाधीनता बरकरार रहनी चाहिये
* अगले भाग में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के देहान्त के बारे में लिखा जाएगा
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
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