मेवाड़ से भागती हुई मुगल फौज |
* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 149
1585 ई.
"महाराणा प्रताप का विजय अभियान"
* महाराणा प्रताप गोडवाड़ से निकले और चावण्ड में तैनात मुगलों को मार भगा कर चावण्ड पर अधिकार किया
* महाराणा प्रताप ने दो सैनिक टुकड़ियां बनाई, जिसमें एक का नेतृत्व स्वयं महाराणा ने व दूसरी का नेतृत्व कुंवर अमरसिंह ने किया
"महाराणा प्रताप की उदयपुर विजय"
महाराणा प्रताप ने उदयपुर पर चढाई की
महाराणा के आने की खबर सुनते ही उदयपुर में तैनात मुगल फौज के हौंसले पस्त हो गए और ये फौज बिना लड़े ही भाग निकली
महाराणा प्रताप ने बिना खून खराबे के ही उदयपुर पर अधिकार कर लिया
* महाराणा प्रताप ओवरां गांव में पहुंचे
ओवरां में स्थित शाही थाने पर हमला किया व विजयी हुए
* ओवरां से महाराणा प्रताप जावर पहुंचे
जावर में सीसा व जस्ता की खदानें थी | आर्थिक रुप से समृद्ध होने के कारण इस इलाके पर अक्सर मुगलों की नज़र रहती थी |
महाराणा प्रताप ने जावर के शाही थाने पर हमला किया व विजयी हुए
* कुंवर अमरसिंह ने मोही, मदारिया, आमेट, देवगढ़ वगैरह शाही थानों पर हमले किए व विजयी हुए
* महाराणा प्रताप ने भीमगढ़ मुगल थाने पर हमला किया व विजयी हुए
* पिण्डवाड़ा स्थित शाही थाना 1576 ई. में अकबर ने आमेर के भगवानदास कछवाहा की मदद से लगाया था
महाराणा प्रताप का पिण्डवाड़ा शाही थाने पर हमला व विजय
* महाराणा प्रताप ने फिर से वागड़ पर हमला किया व विजयी हुए
ये वागड़ पर महाराणा की तीसरी विजय थी
(इससे पहले महाराणा प्रताप ने 1555 ई. व 1578 ई. में वागड़ पर विजय प्राप्त की थी)
* महाराणा प्रताप ने खेरवाड़ा, आसपुर व बिजौलिया पर भी विजय प्राप्त की
* कुंवर अमरसिंह तेज गति से एक ही दिन में 5 शाही थाने उठाते हुए चावण्ड में महाराणा प्रताप के पास हाजिर हुए
"तुर्कों की हर चौकी पर,
रजपूती शस्त्रों का वार हुआ |
फिर से मेवाड़ी धरती पर,
राणा प्रताप का अधिकार हुआ ||
* मेवाड़ में 1575 ई. से 1585 ई. तक 10 वर्षों में जो कुछ भी मुगलों ने जीता, वो लगभग सब महाराणा प्रताप ने मात्र एक वर्ष (1585-86 ई.) में मुगलों से छीन लिया
महाराणा प्रताप ने इस एक वर्ष में 36 मुगल थानों पर अधिकार किया
लेकिन जगन्नाथ कछवाहा ने जो मुगल थाने मुकर्रर किए थे, वे अभी भी मौजूद थे
* अगले भाग में महाराणा प्रताप द्वारा चावण्ड को मेवाड़ की नई राजधानी बनाने व चावण्ड में नवनिर्माण करवाने के बारे में लिखा जाएगा
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
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