महाराणा प्रताप के इतिहास का भाग - 9
मेवाड़ के सामन्त जगमाल को राजगद्दी से हटाते हुए |
"मेवाड़ के इतिहास का भाग - 73"
"महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक"
28 फरवरी, 1572 ई.
होली के दिन महाराणा उदयसिंह का देहान्त हुआ
महाराणा उदयसिंह ने अपने देहान्त से पहले अपनी प्रिय रानी धीरबाई भटियाणी के प्रभाव में आकर अपने 9वें पुत्र कुंवर जगमाल को महाराणा घोषित किया
मेवाड़ में रिवाज था कि उत्तराधिकारी अपने पिता के दाह संस्कार में भाग नहीं लेता है, इसलिए जगमाल गोगुन्दा के महल में राजगद्दी पर बैठ गया और कुंवर प्रताप ने मेवाड़ छोड़ने का इरादा किया
"वसु नैन अंग शशांक वत्सल रान ऊदल पात भौ |
जगमाल गद्दीय बैठ ताहि उठाय पातल नाथ भौ ||"
सभी सामन्त जब महाराणा का दाह संस्कार करके महल में आए, तो राजा रामशाह तोमर ने जगमाल के छोटे भाई सागर से पूछा कि "जगमाल कहाँ है ?"
सागर ने कहा कि "क्या आप नहीं जानते कि दाजीराज ने उनको राज्य का मालिक बनाया है"
रावत कृष्णदास चुण्डावत, राजा रामशाह तोमर, रावत सांगा, मानसिंह सोनगरा चौहान आदि सामन्त इकट्ठे हुए और मंत्रणा की
(वीरविनोद में मानसिंह सोनगरा के स्थान पर उनके पिता अखैराज सोनगरा चौहान का नाम लिखा है, क्योंकि इस ग्रन्थ के मुताबिक महाराणा प्रताप के नाना अखैराज सोनगरा चौहान इस वक्त जीवित थे | अखैराज सोनगरा चौहान के सुमेलगिरि युद्ध में वीरगति पाने का उल्लेख मिलता है, इसलिए इस वक्त उनके पुत्र व कुंवर प्रताप के मामा मानसिंह सोनगरा चौहान का नाम ज्यादा सही लगता है)
रावत कृष्णदास चुण्डावत और रावत सांगा ने कहा कि "पाटवी, हकदार और बहादुर प्रतापसिंह किस कसूर से खारिज समझा जाए ?"
इसका जवाब किसी के पास न होने पर कुंवर प्रताप को महाराणा बनाने का निर्णय लिया गया
रावत कृष्णदास चुण्डावत और राजा रामशाह तोमर ने जगमाल का एक-एक हाथ पकड़ा और राजगद्दी से उठाकर सामने बिठा दिया और कहा कि "आपका स्थान यहां है"
गोगुन्दा में स्थित महादेव जी की बावड़ी में भीलू राणा पूंजा ने अपना अंगूठा चीरकर कुंवर प्रताप का राजतिलक किया और मेवाड़ महाराणा प्रताप के जयकारों से गूंज उठा
गोगुन्दा बावड़ी पर स्थित इसी छतरी में महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था |
रावत कृष्णदास चुण्डावत ने महाराणा प्रताप की कमर में राजकीय तलवार बांधी
मेवाड़ के सामन्त महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक करते हुए |
मेवाड़ के सभी सामन्तों ने महाराणा प्रताप को नज़्रें दीं
महाराणा प्रताप गुहिल वंश (मेवाड़) के 54वें व सिसोदिया वंश के 12वें शासक बने
जगमाल उठकर अपनी पत्नी समेत जहांजपुर चला गया, जहां अजमेर के मुगल सूबेदार ने उसे रहने की इजाजत दे दी
"अहेड़ा का उत्सव"
होली के दिन मेवाड़ में महाराणा व उनके सामन्तों द्वारा अहेड़ा का उत्सव मनाया जाता था, जिसमें जंगली सूअर का शिकार किया जाता था
सामन्तों ने महाराणा प्रताप से कहा कि यदि अहेड़ा न मनाया गया, तो हर होली पर मेवाड़ में स्वर्गीय महाराणा उदयसिंह का शोक रहेगा
महाराणा प्रताप ने अपने सामन्तों की बात मानकर अहेड़ा का उत्सव मनाया
"विधिवत राज्याभिषेक"
महाराणा प्रताप का विधिवत राज्याभिषेक कुम्भलगढ़ में मनाया गया | इस समारोह में मारवाड़ के राव चन्द्रसेन भी पधारे थे |
महाराणा प्रताप ने कुम्भलगढ़ में इस अवसर पर मेवाड़ को स्वाधीन करने की प्रतिज्ञा की
> अगले भाग में महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक के समय मेवाड़ के सामन्तों के बारे में लिखा जाएगा
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
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