महाराणा प्रताप के इतिहास
* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 77
"महाराणा प्रताप का शत्रु पक्ष"
* अकबर :- अंग्रेज इतिहासकार विन्सेंट स्मिथ के अनुसार जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर की लम्बाई औसत दर्जे की थी | बायीं आँख के नीचे एक काला मस्सा था | वह कभी-कभी शौक से अपने बायें पैर को घसीट कर चलता था |
अकबर सियासी दांवपेच और कूटनीति में माहिर था | चित्तौड़ का कत्लेआम इसके चरित्र पर सबसे बड़ा दाग माना जाता है |
अकबर के दरबार में 405 मनसबदार थे, जिनमें से 56 हिन्दु थे |
अकबर के प्रमुख सिपहसालार, जिनको अलग-अलग सैन्य अभियानों में महाराणा प्रताप के विरुद्ध भेजा गया :-
> आमेर के कुंवर मानसिंह कछवाहा :- ये मुगल दरबार में पाँच हजारी मनसबदार था, जिसका मनसब बाद में बढ़ाकर सात हजारी कर दिया गया | अकबर ने मानसिंह को 'फर्जन्द' (बेटे) की उपाधि दी | मानसिंह अकबर के नवरत्नों में से एक था | मानसिंह ने महाराणा प्रताप के विरुद्ध हल्दीघाटी, गोगुन्दा व कुम्भलगढ़ के सैन्य अभियानों में भाग लिया |
> राजा भगवानदास (पाँच हजारी मनसबदार) :- ये आमेर के राजा भारमल का पुत्र था | इसने महाराणा प्रताप के विरुद्ध गोगुन्दा व कुम्भलगढ़ के युद्धों में भाग लिया |
> हुसैन कुली खां (पाँच हजारी मनसबदार) :- ये 1567 ई. में कुम्भलगढ़ की लड़ाई में कुंवर प्रताप के हाथों पराजित हुआ |
> कुतुबुद्दीन खां (पाँच हजारी मनसबदार) :- इसने गोगुन्दा के सैन्य अभियानों में भाग लिया |
> अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना (पाँच हजारी मनसबदार) :- ये बैरम खां का बेटा था | इसने महाराणा प्रताप के विरुद्ध गोगुन्दा व शेरपुर की लड़ाईयों में भाग लिया |
> बीकानेर के राजा रायसिंह (चार हजारी मनसबदार) :- ये महाराणा प्रताप के बहनोई थे, फिर भी ये महाराणा प्रताप के विरुद्ध गुजरात मार्ग व नाडोल में तैनात रहे |
> अब्दुलमजीद आसफ खां (साढे तीन हजारी मनसबदार) :- इसने महाराणा प्रताप के विरुद्ध हल्दीघाटी व ईडर के युद्धों में भाग लिया |
> जगन्नाथ कछवाहा (ढाई हजारी मनसबदार) :- इसने महाराणा प्रताप के विरुद्ध हल्दीघाटी के हरावल दस्ते में भाग लिया | महाराणा के विरुद्ध अकबर के अन्तिम सैन्य अभियान (1584 ई.) का नेतृत्व इसी ने किया था |
> शाहबाज खां कम्बो (दो हजारी मनसबदार) :- इसने महाराणा प्रताप के विरुद्ध कुम्भलगढ़ समेत तीन सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया |
> सैयद राजू (नौ सो मनसबदारी) :- इसने महाराणा के विरुद्ध हल्दीघाटी, कुम्भलगढ़ व अन्तिम सैन्य अभियान में भाग लिया |
> गाज़ी खां बदख्शी (पाँच सौ मनसबदारी) :- इसने महाराणा के विरुद्ध हल्दीघाटी, मोही व कुम्भलगढ़ के युद्धों में भाग लिया |
> राव खंगार कछवाहा :- ये राजा भारमल का भतीजा था | इसने महाराणा प्रताप के विरुद्ध मांडल के युद्ध (1583 ई.) का नेतृत्व किया था |
> मुजाहिद बेग :- इसने महाराणा के विरुद्ध हल्दीघाटी युद्ध में भाग लिया व मोही के युद्ध का नेतृत्व किया |
> माधोसिंह कछवाहा :- ये मानसिंह का भाई था | इसने भानगढ़ दुर्ग बनवाया था | माधोसिंह ने हल्दीघाटी युद्ध में मुगलों का साथ दिया |
> सुल्तान खां :- ये अकबर का रिश्तेदार था | इसने मुगल पक्ष की ओर से दिवेर युद्ध का नेतृत्व किया |
> बहलोल खां :- ये उजबेक था, जिसने हल्दीघाटी युद्ध में भाग लिया |
> अब्दुल कादिर बंदायूनी :- ये लेखक था | हल्दीघाटी, ईडर व कुछ अन्य छापामार युद्धों में ये मुगल फौज के साथ रहा |
* अगले भाग में महाराणा प्रताप को मनाने के लिए अकबर द्वारा भेजे गए 4 में से 2 सन्धि प्रस्तावों के बारे में लिखा जाएगा
:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)
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