Monday, 6 February 2017

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 49

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास


* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 113

अक्टूबर, 1576 ई.

"मुगलों में महाराणा प्रताप का खौफ"


अबुल फजल लिखता है

"इसी दौरान हमारे पाक मजहब के हज का जूलुस शुरु हुआ | हज का सीधा रास्ता मेवाड़ होकर जाता था | ये खौफ था कि हज जाने वाले मुसाफिरों को राणा के आदमी तंग करेंगे | इस वजह से शहंशाह ने राणा के खिलाफ गोगुन्दा पर और नारायणदास के खिलाफ ईडर पर भेजी गई दोनों फौजों को वहां से हटाकर हज मुसाफिरों के बचाव खातिर तैनात की | ये कारवां गोगुन्दा की ओर रवाना हुआ, जहां से एक फौज अलग होकर फिर से राणा के पीछे लगा दी गई | दूसरी फौज इस कारवां के साथ ईडर तक गई और अहमदाबाद में इनकी हिफाजत के इन्तजाम करके फिर से नारायणदास के पीछे चली गई | जब शाही फौज गोगुन्दा पहुंची, तो फिर से उस अभागे राणा ने खुद को छिपा लिया"

हज जाने वाले यात्रियों के नाम कुछ इस तरह हैं :-

अकबर के परिवार के सदस्य :-

> गुलबदन बेगम (मुगल बादशाह हुमायूं की बहन, जिसने हुमायूंनामा लिखा)

> बेगम सलीमा सुल्तान (बैरम खां की पत्नी, जिससे बाद में अकबर ने निकाह किया | ये अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना की मां थी)

> सआदत यार कोका (गुलबदन बेगम का बेटा)

काज़ी व अन्य :-

> शाह ख्वाजा मलिक महमूद
> काज़ी इमादुल्मुल्क
> मौलाना अब्दुर्रहीम
> मुल्ला अब्दुल्ला वफादार
> ख्वाजा अशरफ
> ख्वाजा हुसैन अली फर्खरी
> मौलाना फजली नौशद
> शाह मिर्जा
> जमाल खां बिल्लोच

इकबालनामा में लिखा है

"कारवां और उसके पीछे-पीछे चलने वाली शाही हरम की औरतों की हिफ़ाजत में आने वाली मुश्किलों को दूर करने की खातिर कुलीज खां को फौज समेत भेजा गया"

अबुल फजल लिखता है

"इसी दौरान गुजरात से खबर आई कि बादशाही सिपहसालारों के इन्तजामों से शाही हरम की पाक साफ औरतें खतरे के समन्दर (मेवाड़) से बाहर निकलकर गुजरात पहुंच चुकी हैं | शहंशाह ने खबर सुनी, तो बेहद खुश हुए और कारवां को फतेहपुर सीकरी लाने की जिम्मेदारी शिहाबुद्दीन अहमद खां को सौंपी"

"चारण कवि रामा सांदू का बलिदान"

अकबर जब मेवाड़ में था, तब जगह-जगह शाही थाने तैनात होते थे और लड़ाईंया हर रोज हर पहर हुआ करती थीं

इन्हीं छापामार लड़ाईंयों के दौरान चारण कवि रामा सांदू मुगलों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए

* अगले भाग में अकबर द्वारा गोगुन्दा, रामा, उदयपुर, बांसवाड़ा व डूंगरपुर पर किए गए हमलों व महाराणा प्रताप द्वारा शाही थानों पर किए गए हमलों के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास का भाग - 48

महाराणा प्रताप (राणा कीका) के इतिहास



* मेवाड़ के इतिहास का भाग - 112

अक्टूबर, 1576 ई.

"महाराणा प्रताप को पकड़ने या मारने के लिए अकबर के प्रयास"

> अकबर ने पिण्डवाड़ा शाही थाना तैनात किया

> अकबर ने कुतुबुद्दीन खां, भगवानदास और मानसिंह को गोगुन्दा से बुलाकर उदयपुर के प्रवेश द्वार देबारी के घाटे पर तैनात किया

> उदयपुर में शाह फखरुद्दीन व जगन्नाथ कछवाहा को तैनात किया

> अकबर ने मोही व मदारिया पर भी अधिकार कर लिया

उसने मदारिया में अब्दुर्रहमान मुअयिद बेग व जलालुद्दीन बेग को 500 घुड़सवारों के साथ तैनात किया

> अकबर ने सबसे बड़ा शाही थाना मोही में तैनात किया, जहां उसने 3000 घुड़सवारों के साथ गाजी खां बदख्शी, मुजाहिद बेग, सुभान कुली तुर्क, शरीफ खां अतका को तैनात किया

> अकबर ने गुजरात पर सुरक्षा के प्रबन्ध कड़े कर दिये, ताकि महाराणा प्रताप गुजरात न जा सके

> अकबर ने दिवेर, देसूरी, देवल व देबारी में बड़े शाही थाने तैनात किए, जहाँ हजारों की फौजें रखी गईं

> अकबर मोही को केन्द्र बनाकर महाराणा प्रताप को पकड़ने या मारने के लिए लगातार फौजें भेजता रहा, पर हर बार असफल हुआ
अकबर

* अकबर 60,000 की भारी-भरकम फौज लेकर मेवाड़ के जंगलों में फिर रहा था, लेकिन तब भी उसे महाराणा प्रताप का इतना खौफ था कि उसने एक खास फौजी टुकड़ी को अपने आगे-आगे चलाया

अकबरनामा में अबुल फजल लिखता है "मोही गाँव में शहंशाह ने पड़ाव डाला | इस गाँव ने भी कुछ दिनों तक शहंशाह की मौजूदगी से फख्र महसूस किया होगा | शहंशाह ने यहां की रअय्यत का भी हाल जाना | शहंशाह ने अपने और शाही फौज के आगे एक खास फौजी टुकड़ी तैनात की, ताकि राणा अचानक हमला न कर दे | शहंशाह ने सब सिपहसालारों को हुक्म दिया कि 'वह शैतान कलहकारी राणा जब भी शर्मिन्दगी की पहाड़ियों से निकले, उससे बदला लिया जाए' |"

"हिंगोलदास राठौड़ द्वारा गौरक्षा"


जब भारी संख्या में मुगल फौज मेवाड़ में हर जगह लूटपाट व अत्याचार कर रही थी, तभी एक जगह कुछ मुगल गायें खोलकर ले गए

रास्ते में इनका सामना अखैराज राठौड़ के पुत्र हिंगोलदास राठौड़ से हो गया

हिंगोलदास राठौड़ ने मुगलों को मार-भगा कर गौ रक्षा की

* अगले भाग में मेवाड़ से होकर गुजरात जाने वाले हज यात्रियों (काजी व अकबर के परिवारजनों) को महाराणा प्रताप से खौफ के बारे में लिखा जाएगा

:- तनवीर सिंह सारंगदेवोत ठि. लक्ष्मणपुरा (बाठरड़ा-मेवाड़)